19 मई से 22 मई 2022 तक, इस्कॉन न्यूटाउन कोलकाता में गौर निताई विग्रह की स्थापना समारोह मनाया गया। 20 मई, शुक्रवार, 2002 को दोपहर में वेदी पर गौर निताई विग्रह को स्थापित किया गया ।
गौर निताई की स्थापना समारोह में हजारों भक्तों ने भाग लिया। भक्त न केवल बंगाल के विभिन्न हिस्सों से थे बल्कि भारत और दुनिया के विभिन्न स्थानों से भी थे।
इस शुभ अवसर पर परम पूज्य राधानाथ स्वामी महाराज ने भक्तों को संबोधित किया और इस्कॉन न्यूटाउन में गौर निताई विग्रह की स्थापना के महत्व पर बात की।
इस्कॉन न्यूटाउन कोलकाता में गौर निताई विग्रह की स्थापना पर परम पूज्य राधानाथ स्वामी
आज ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद, इस्कॉन के संस्थापक आचार्य, और ब्रह्म माधव गौड़ीय संप्रदाय के सभी परम प्रिय आचार्यों की दिव्य कृपा से निताई गौरांग की प्राणप्रतिष्ठा मनाई जा रही है।
कोलकाता पूरे बंगाल राज्य के लिए गतिविधियों का मुख्य केंद्र है। श्रील प्रभुपाद कोलकाता को नवद्वीप मायापुर धाम का प्रवेश द्वार मानते थे। भगवान चैतन्य इस संसार में मायापुर धाम में प्रकट हुए। हरिनाम संकीर्तन आंदोलन के उद्घाटन में उनकी सहायता के लिए दुनिया भर से भक्त वहां एकत्रित हुए।
भगवान चैतन्य भगवान श्रीकृष्ण हैं।वे इस दुनिया में आते हैं उस प्रेम का अनुभव करने के लिए जो श्रीमती राधारानी का कृष्ण के प्रति है। कृष्ण ने महाभाव का हृदय धारण किया, राधा का परमानंद प्रेम और गौरांग के रूप में प्रकट हुए। भगवान गौरांग ने मायापुर धाम में अपने सहयोगियों के साथ वृंदावन के भाव में भगवान के परम प्रेम का वितरण किया।
उन्होंने इसका स्वाद चखा और इस पर विचार किए बिना कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य है, इसे वितरित कर दिया।
गौर निताई मिलन
बंगाल के एक अन्य क्षेत्र में, श्री नित्यानंद प्रभु इस दुनिया में प्रकट हुए – ब्रजेंद्र-नंदन जेइ, शचि-सुता होइलो सेई, बलराम होइलो निताई। एकचक्र में बलराम, भगवान नित्यानंद के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने बचपन में खूबसूरत लीलाएं कीं, 12 वर्षों से अधिक समय तक भारत के पवित्र स्थानों की यात्रा की। वृंदावन में जब उन्हें पता चला कि भगवान गौरांग ने अपना संकीर्तन आंदोलन शुरू कर दिया है, भगवान नित्यानंद गंगा मां के तट पर स्थित नवद्वीप में आए। दोनों भाई मिले। गौर निताई के रूप में कृष्ण और बलराम पहली बार इस विशेष अवतार में एकजुट हुए।
परम करुणा, पहि दुई जन निताई गौरचंद्र – भगवान चैतन्य और भगवान नित्यानंद परम दयालु हैं, उनकी करुणा भगवान के अन्य सभी अवतारों में श्रेष्ठ है। श्री राधा और कृष्ण ने वृंदावन की लीलाओं को बहुत करीबी, चुने हुए, ईमानदार भक्तों के सामने प्रकट किया। लेकिन भगवान चैतन्य और भगवान नित्यानंद वृंदावन की लीलाएं लेकर आए और इसे सभी के लिए सुलभ बना दिया।
हम पवित्र नामों का जाप करके, श्रीमद्भागवतम को सुनकर और भक्तों की सेवा करके उस लीला में प्रवेश कर सकते हैं। हमारे प्रसिद्ध गुरु महाराज, श्रील प्रभुपाद ने भगवान चैतन्य और भगवान नित्यानंद दोनों की भविष्यवाणी को पूरा किया कि संकीर्तन आंदोलन दुनिया भर के हर शहर और गांव में पहुंचेगा।
एक स्वप्न, एक भविष्यवाणी जो हमारे प्रिय आचार्यों के हृदय में विराजमान रही, श्रील प्रभुपाद ने पूरी की।
कोलकाता का आध्यात्मिक महत्व
श्रील प्रभुपाद इस दुनिया में आध्यात्मिक दुनिया से कोलकाता शहर में प्रकट हुए। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर की प्रचार गतिविधियाँ और उनकी पुस्तकों का प्रकाशन और वितरण कोलकाता में हुआ। श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर का जन्म जगन्नाथ पुरी में हुआ था लेकिन उनकी सारी शिक्षा कोलकाता में हुई ।
और श्री नवद्वीप धाम से श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर कॄष्ण भक्ति का प्रचार प्रसार करने के लिए कोलकाता आए। उल्टाडांगा रोड पर ही श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने पहले गौड़ीय मठ की स्थापना की थी। 1922 में यानी 100 साल पहले हमारे श्रील प्रभुपाद गौड़ीय मठ की छत पर अपने गुरु, श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर से मिले थे।
कोलकाता में ही उन्हें वह आदेश मिला जो उनके जीवन का उद्देश्य और बाद में हमारे जीवन का उद्देश्य बन गया। संदेश दुनिया भर में अंग्रेजी भाषा में भगवान चैतन्य की शिक्षाओं को ले जाना था।
वृंदावन से, श्रील प्रभुपाद कोलकाता आए। कोलकाता से वह मालवाहक जहाज में पश्चिम की यात्रा के लिए रवाना हुए, कुछ ऐसा करने के लिए जो इतिहास में किसी ने सफलतापूर्वक नहीं किया था – दुनिया भर में संकीर्तन फैलाना। श्रील प्रभुपाद अमेरिका गए।
परम पूज्य जयपताका स्वामी महाराज का महान योगदान
मुझे आज अपने हृदय में अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि परम पूज्य जयपताका स्वामी के साथ हम भी गौर निताई की स्थापना उत्सव में भाग ले रहे हैं। परम पूज्य जयपताका स्वामी का जन्म और पालन-पोषण मध्य-पश्चिम अमेरिका में हुआ था। जब वे एक किशोर थे, तो वे श्रील प्रभुपाद के प्रति प्रेमपूर्ण समर्पण में अमेरिका छोड़ कर बंगाल, भारत आ गए।
जब कोई साधन नहीं था, कोई सुविधा नहीं थी, वे बंगाल में उपदेश दे रहे थे। उन्होंने बंगाली भाषा में उपदेश देना सीखा। 1970 के दशक में वे स्थानीय भाषा में सत्संग कर रहे थे जिसमें बंगाल के हजारों लोग भाग ले रहे थे।
श्रील प्रभुपाद ने एक समय में परम पूज्य जयपताका स्वामी को कोलकाता मंदिर का अध्यक्ष बनाया था। कोलकाता में अल्बर्ट रोड पर स्थित राधा गोविंदा मंदिर भारत में पहला इस्कॉन मंदिर है जिसे श्रील प्रभुपाद ने स्थापित किया।
इसके अलावा, परम पूज्य जयपताका स्वामी हमारे आंदोलन के सबसे पुराने सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक हैं जो दशकों से मायापुर धाम का विकास कर रहे हैं और दुनिया भर में भगवान चैतन्य के संदेश का प्रचार कर रहे हैं। हम वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि परम पूज्य जयपताका स्वामी इस शुभ अवसर के लिए यहां हैं।
महाप्रभु की लीलाओं से जुड़े स्थानों के लिए कोलकाता प्रवेश द्वार
राधा गोविंद का अल्बर्ट रोड मंदिर एक किराए के फ्लैट में था। हाल के दिनों में इमारत का विस्तार और नवीनीकरण किया गया है।
श्रील प्रभुपाद मायापुर नवद्वीप धाम के प्रवेश द्वार के रूप में कोलकाता में एक शानदार मंदिर चाहते थे। वह इस दुनिया में अपने जन्म के शहर में और जहां वह पहली बार अपने गुरु महाराज से मिले थे एक शानदार मंदिर चाहते थे।
श्रील भक्ति चारु स्वामी महाराज भी कोलकाता में पले-बढ़े। यह ऐसी खास जगह है। यह बंगाल की राजधानी, बंगाल का सबसे महत्वपूर्ण शहर है।
कई मायनों में कोलकाता मायापुर धाम का सिर्फ प्रवेश द्वार नहीं है बल्कि एकचक्र, श्री राम केली, कटवा, अंबिका कालना और चैतन्य महाप्रभु की लीला से जुड़े सभी पवित्र स्थानों का प्रवेश द्वार है।
इस्कॉन न्यूटाउन कोलकाता में एक शानदार मंदिर
हम सभी की यही कामना और प्रार्थना है कि पूरे बंगाल के लिए और पूरे भारत के लिए और पूरे विश्व के लिए कोलकाता में एक गौरवशाली मंदिर और शिक्षा केंद्र खोला जाए।
श्रील प्रभुपाद की दया से, न्यूटाउन का वह क्षेत्र जहाँ आज श्री निताई गौरांग स्थापित किए जा रहे हैं, वह स्थान होगा जहाँ यह नया मंदिर प्रकट होगा। श्रील प्रभुपाद के जन्मस्थान की महिमा करने के लिए, हमारे पास वह भूमि है जहाँ श्रील प्रभुपाद ने कटहल के पेड़ के नीचे जन्म लिया था।
हम इसे एक सुंदर स्मारक के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं जहां लोग आकर ध्यान कर सकें और श्रील प्रभुपाद का आभार व्यक्त कर सकें।
हम उल्टाडांगा जंक्शन रोड विकसित कर रहे हैं जहां भक्त आकर श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर के चरण कमलों की धूल ले सकते हैं और श्रील प्रभुपाद को मिली शिक्षा की सेवा कर सकते हैं।
और अगला चरण पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में निताई गौरांग और श्री श्री राधा और कृष्ण का एक अद्भुत और सुंदर मंदिर है।
एक ऐसा स्थान जहाँ हम श्रील प्रभुपाद के प्रति अपना आभार प्रकट कर सकते हैं। और जहां हम पूरी दुनिया को भगवान चैतन्य और भगवान नित्यानंद की दया की ओर आकर्षित करने में श्रील प्रभुपाद की सहायता कर सकते हैं।
मैं कोलकाता के सभी भक्तों को उनकी अविश्वसनीय भक्ति, ईमानदारी, बाधाओं पर काबू पाने और श्रील प्रभुपाद के नक्शेकदम पर चलने के लिए धन्यवाद देता हूं। हमारी प्रार्थनाएं, हमारा प्यार, हमारा आभार आपके साथ है।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।