हे भगवान राम, रामनवमी के इस शुभ अवसर पर, मैं आपके चरण कमलों की शरण माँगता हूँ। आपके चरण कमल इस संसार की सभी बद्ध आत्माओं का एकमात्र आश्रय हैं जो इस संसार में कठिन संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आपकी माया से आच्छादित होने के कारण अधिकांश लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे पीड़ित हैं।
औरों की तो क्या बात, मैं स्वयं पीड़ित होते हुए भी सोचता हूँ कि मैं पीड़ित नहीं हूँ। और वास्तव में, हे भगवान राम, मैं अभी भी अपने दिल में एक आशा रखता हूँ कि मैं इस दुनिया में खुश रह सकता हूँ।
एक बेबस जिंदगी
मेरी हालत कसाई की चाकू के नीचे जीने के लिए संघर्ष कर रहे एक बेबस मुर्गे की तरह है। मैं देखता हूं कि कई जगहों पर दर्जनों मुर्गियां को एक छोटे से लोहे के पिंजरे में बंद कर दिया जाता है और कसाई द्वारा मांस के रूप में बेचने के लिए दुकान पर ले जाया जाता है।
उनके पैर एक-दूसरे से और पिंजरे से बंधे होते हैं और वे ताजी हवा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष करते हैं। बस यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुर्गे बेचे जाने से पहले न मरें, व्यापारी उस जेल के अंदर कुछ अनाज और एक कटोरी पानी डाल देता है।
और बेचारे मुर्गे उन दानों को खाते हैं, पानी पीते हैं और इसे ही अपना जीवन मान लेते हैं। कत्लखाने में, वे अपनी आंखों के सामने देखते हैं की कैसे बेरहमी से उनके साथियों का सिर काट दिया जाता है।
लेकिन फिर भी मुर्गे को लगता है कि कल मैं बच गया था और आज भी बच जाऊंगाहूं। जब वह इस तरह उम्मीद कर रहा होता है तो कसाई अपना हाथ पिंजरे में डालता है, उसके पंखों को पकड़ता है और उसे पिंजरे से बाहर निकालता है। फिर वह वजन मापने के लिए मुर्गे को तौलने की मशीन पर रखता है ताकि खरीदार से उसे उचित मूल्य मिल सके। और फिर सिर काटने के लिए अपना चाकू उठा लेता है।
कसाई के हाथ में मुर्गा जीवन के लिए कठिन संघर्ष करता है, लेकिन न तो कसाई और न ही खरीदार उसपर कोई दया दिखाता है और आसपास के लोग भी कोई हमदर्दी नहीं दिखाते।
गलत उम्मीद
मेरी हालत बहुत अलग नहीं है। मैं हर पल देखता हूं कि लोग जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं लेकिन फिर भी वे जीवित रहने में विफल रहते हैं। समय हमें किसी भी क्षण नीचे गिरा देता है। लेकिन फिर भी मुझे उम्मीद रहता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब मैं यहां हमेशा खुशी से रहूंगा।
इस संसार में, मैं भौतिक प्रकृति की लहरों द्वारा लगातार ऊपर-नीचे उछाला जा रहा हूँ। मैं शारीरिक दर्द, भावनात्मक दर्द से गुजरता हूं। लोग मेरे साथ विश्वासघात करते हैं, मेरा अपमान करते हैं, लेकिन फिर भी मैं इस उम्मीद में रहता हूँ कि समय के साथ चीजें सामान्य हो जाएंगी। लेकिन सच्चाई यह है कि इस भौतिक दुनिया में सुख की उम्मीद करना रेगिस्तान में आम के रस की उम्मीद करने जैसा है।
इसलिए, मुझे यह समझने की आवश्यकता है कि अपने भले के लिए मुझे भौतिक जीवन से बाहर आना होगा और आध्यात्मिक जीवन अपनाना होगा। मुझे अब सच्चाई पता है। इसलिए, मैं अपने सभी भौतिक आसक्तियों को छोड़ना चाहता हूं और हमेशा के लिए आपके चरण कमलों से जुड़ना चाहता हूं।
मैं भगवान राम के चरण कमलों की शरण लेने में विफल रहता हूं
आपके चरण कमल ही मुझे सभी भौतिक दुखों से राहत दिला सकते हैं। प्रिय भगवान राम, मैं बस आपके चरण कमलों को पकड़ कर हमेशा वहां रहना चाहता हूं और शांति का अनुभव करना चाहता हूं। यदि मैं आपके चरण कमलों की शरण में रहूँ जो किसी भी मनोकामना को पूरा करता तो सभी मनोकामनाएँ पूरी होंगी।
परन्तु मेरी एक ही इच्छा है और वह है सदा आपके चरण कमलों की शरण में रहना। यदि आप मेरी यह इच्छा पूरी कर दें, तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा। मैं सदा आपकी सेवा करूँगा और सदा सुखी रहूँगा।
मैं जानता हूँ कि जो कोई शुद्ध मन से आपके पास आता है, उसे आप आश्रय देते हो। लेकिन आपके चरण कमलों की शरण लेने की आवश्यकता जानने के बावजूद, मेरा हृदय जो अभी भी इस दुनिया की नश्वर वस्तुओं और नश्वर प्राणियों से जुड़ा हुआ है, मुझे अपना जीवन पूरी तरह से आपको समर्पित करने की अनुमति नहीं देता है।
मैं सभी भौतिक प्रेम को त्यागने के लिए कठिन प्रयास कर रहा हूँ लेकिन मैं ऐसा करने में सक्षम नहीं हूँ। मेरा मन और इंद्रियां जो असीमित भौतिक इच्छाओं से भरा है, मुझे इस दुनिया में पीड़ित होने के लिए मजबूर करत हैं। मैं क्या करुँ समझ नहीँ आता? मेरे पास इससे बाहर आने की क्षमता और ताकत नहीं है।
मैं बिल्कुल असहाय हूं। जिस प्रकार रावण ने माता सीता का हरण किया था, उसी प्रकार मेरे अनियंत्रित मन और इन्द्रियों ने मेरा अपहरण कर लिया है और मुझे इस भौतिक संसार तक सीमित कर दिया है ।
भवसागर को पार करने के लिए एक पुल का निर्माण करें
एक सीख जो माता सीता ने हमें सिखाई है वह यह है कि किसी भी स्थिति और परिस्थिति में कभी भी आपकी चरण कमलों को नहीं छोड़ना चाहिए। हालाँकि रावण ने सीता का अपहरण किया, धमकाया, प्रताड़ित करने की कोशिश की, आप में विश्वास खत्म करने की कोशिश की लेकिन सीता ने कभी आपकी शरण नहीं छोड़ी। माता सीता को पूरा विश्वास था कि आप उसे बचाने जरूर आओगे।
हनुमान और सुग्रीव के नेतृत्व में वानर योद्धाओं ने आपकी कृपा से लंका जाने के लिए समुद्र पर एक विशाल पुल का निर्माण किया। लंका में, आपने रावण और उसकी राक्षसों की दुष्ट सेना का विनाश किया और माता सीता को बचाया।
मेरे पास आपके पास आने की क्षमता नहीं है। जैसे आपने सीता तक पहुँचने के लिए एक पुल का निर्माण किया, कृपया करके एक पुल का निर्माण करें ताकि उस पर चल कर मैं तेजी से भवसागर को पार कर सकूँ और आपके चरण कमलों तक पहुँच सकूँ जो सभी दुखों से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है।
मेरी भौतिक इच्छाओं को मार दें, आपके चरण कमलों का आश्रय कभी नहीं छोडूंगा
जिस तरह आपने रावण की असीमित सेना को मार डाला, उसी तरह आप मेरी असीमित भौतिक इच्छाओं को मार दें जो लगातार मुझे परेशान करते हैं। आपने रावण के हृदय में बाण मारकर उसका वध करके माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाया था।
इसी तरह, अपना तीर मेरे हृदय में मारकर मेरी सभी भौतिक इच्छाओं को आप समाप्त कर दें जो मुझे आप से दूर रखता है।
और मेरे हृदय को आपकी सेवा करने की इच्छाओं से भर दें। एक बार मेरा हृदय सभी अवांछित सांसारिक इच्छाओं से मुक्त हो जाएगा, तो मैं सभी दुखों से मुक्ति प्राप्त कर लूंगा।
और हे भगवान राम, एक बार जब मेरा हृदय आपके चरण कमलों की शरण में रहने की इच्छा से भर जाएगा तो मैं सदा सुखी रहूंगा और फिर मैं आपके चरण कमलों का आश्रय कभी नहीं छोडूंगा।